मै योगी हू राजनीति मेरी फुलटाइम जॉब नही प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर क्या बोले सीएम।

मै योगी हू राजनीति मेरी फुलटाइम जॉब नही प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर क्या बोले सीएम।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने और भाजपा के केंद्रीय नेताओं के बीच मतभेद की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि वह पार्टी की वजह से ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर हैं। यह सवाल भी उठाया-''क्या मैं पार्टी के केंद्रीय नेताओं के साथ मतभेद रखकर कुर्सी पर बना रह सकता हूं?
 ऐसे मतभेदों के बारे में अटकलें लगाने वालों का मुंह बंद नहीं किया जा सकता है।'' कुछ लोग उन्हें भारत के भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखते हैं? प्रश्न पर योगी ने कहा, ''राजनीति मेरे लिए फुल टाइम जॉब नहीं है। इस समय मैं यहां काम कर रहा हूं लेकिन वास्तविकता में मैं हूं तो एक योगी ही।'' 
समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ इंटरव्‍यू में मुख्यमंत्री योगी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा उन्हें समर्थन दिए जाने के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा, ''जो भारत के प्रति निष्ठावान होगा, आरएसएस उसको पसंद करेगा, जो भारत के लिए निष्ठावान नहीं होगा, आरएसएस उसको रास्ते पर लाने के लिए, सन्मार्ग पर लाने के लिए प्रेरणा ही दे सकता है।''
योगी ने कहा कि उनकी प्राथमिक भूमिका उत्तर प्रदेश के लोगों की सेवा करना है। उन्होंने कहा, ''मैं उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं और पार्टी ने मुझे राज्य के लोगों की सेवा करने के लिए ही यहां रखा है।'' प्रदेश के बाहर दूसरे राज्यों में भाजपा प्रचारक के रूप में लोकप्रियता के बारे में पूछे गए
 सवाल पर कहा कि सभी मुख्यमंत्री पार्टी के चुनाव प्रचार का हिस्सा हैं। राजनीति में कब तक बने रहने की उनकी योजना है, प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा, ''इसके लिए भी एक समय सीमा होगी।'' यह कहने पर कि क्या इस जवाब का मतलब है कि राजनीति आपका स्थायी व्यवसाय नहीं है, आदित्यनाथ ने दोहराया, ''हां, मैं यही कह रहा हूं।''
योगी ने कहा, ‘कांग्रेस जिस रास्ते पर जा चुकी है। मुझे नहीं लगता कि उसके आगे पनपने या बढ़ने की कोई संभावना बची हुई है। अपने मूल या मूल्यों से जब कोई भटक जाता है तो उसके सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाता है, और इसका सबसे बड़ा उदाहरण कांग्रेस (के रूप में) आपके सामने है।’
 कांग्रेस अपना मृत्यु प्रमाण पत्र लिखने की ओर बढ़ चुकी है। यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस की मौजूदा स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है, पर कहा इस स्थिति के लिए राहुल गांधी के साथ ही अन्य लोग भी जिम्मेदार हैं, जो कांग्रेस की नीतियों को तय करते हैं और एजेंडा निर्धारित करते हैं।